स्पेशल रिपोर्ट – अभिषेक शुक्ला (सम्पादक , कल्कि प्रभात सत्ता)
फर्रुखाबाद , चमत्कारी और किस्मत बना देने वाले करौली बाबा जिनके विषय में कहा जाता है कि जिसने बाबा नीम करौली के दर्शन कर लिए उसका जीवन बदल जाता है। बाबा नीम करौली सिर्फ देश ही नहीं विश्व भर में विख्यात है। शायद तभी बाबा की भक्तों में मार्क जुकरबर्ग और एप्पल कम्पनी के मालिक स्टीफ जॉब्स जैसे नाम शामिल है। बताया जाता है बाबा के दर्शन के लिए देश के साथ विदेशों से भी भारी संख्या में लोग दर्शन के लिए आया करते है। ऐसे चमत्कारी और किस्मत बदलने वाले बाबा नीम करौली के बारे में कुछ और जानकारी के लिए हमारी टीम दीपक त्रिवेदी, नैमिष शुक्ला , वीरेंद्र कुमार निगम , भिपेंद्र रस्तोगी ने खास बात – चीत की बाबा के सेवक रामलखन बाजपेयी जी से……
कल्कि प्रभात सत्ता टीम ने बात चीत की शुरुआत की तो उन्होंने बताया कि , वे बाबा नीम करौली की लगभग 21 वर्षों से सेवा कर रहे है । बाबा नीम करौली के विषय में विशेष जानकारी साझा करते हुए उन्होंने हमने बताया कि , बाबा जी फिरोजाबाद के अकबरपुर के रहने वाले थे। वे 1912 में अपनी तपोभूमि यानी फर्रुखाबाद में आए थे । बताते हैं कि जब आए तब वहां से जंगल हुआ करता था । बाबा के घर का नाम लक्ष्मी नारायण था। लेकिन जब गांव में आए तब ग्राम वासियों ने उन्हें लक्ष्मण दास के नाम दिया और वे विश्व भर में नीम करौली बाबा के नाम से विश्व विख्यात हुए। क्योंकि जहां उनकी तपोभूमि है उस गांव का नाम नीम करौली है। इसलिए विश्व भर में बाबा नीम करौली के नाम से विश्व विख्यात हुए ।
1912 से 1935 तक अपनी तपोभूमि में रहे
1912 से 1935 तक बाबा अपनी तपोभूमि फर्रुखाबाद में रहे। लेकिन उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन काल में इस कार्य काल के बारे में उन्होंने किसी को भी कुछ नहीं बताया, लेकिन जब वे वृंदावन में अपना शरीर त्याग रहे थे। तब उन्होंने बताया कि फर्रुखाबाद और मैनपुरी के बीच में एक ही स्थान है नीम करौली, जहां एक हनुमान जी की मूर्ति है । जिसे उनके द्वारा स्थापित किया गया है और जिनके द्वारा उन्होंने विद्या प्राप्त की थी।
एक बेटे का हो चुका है देहांत
वहीं बाबा के परिवार के विषय में पूछने पर उन्होंने हमें बताया की बाबा के परिवार में उनके दो बेटे और एक बेटी है। जिसमें से एक बेटे का देहांत हो गया है। वह बेटा उनके वृंदावन वाले आश्रम की देखरेख करता था और दूसरा बेटा उनका भोपाल में रहता है।
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विश्व भर में कई नामों से जाने जाते है बाबा
उन्होंने हमें बताया कि बाबा उत्तर भारत मे भ्रमण किया। इस दौरान उन्हें कई नामों से जाना जाता था, जिनमें शामिल हैं: लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा, और तिकोनिया वाला बाबा। जब उन्होंने गुजरात के वावनिया मोरबी में तपस्या और साधना की, तो उन्हें तलैया बाबा के नाम से जाना जाने लगा। वृंदावन में, स्थानीय निवासियों ने उन्हें चमत्कारी बाबा (“चमत्कार बाबा”) के नाम से संबोधित किया। उनके जीवन के दौरान दो मुख्य आश्रम बनाए गए, पहला वृंदावन में और बाद में कांची में, जहां उन्होंने गर्मी के महीने बिताए। समय के साथ, उनके नाम पर 100 से अधिक मंदिरों का निर्माण किया गया।
कैंची धाम आश्रम में गुजारे अंतिम क्षण
उन्होंने हमें बताया कि कैंची धाम आश्रम जहां बाबा ने अपने जीवन के अंतिम दशक में रहे थे। यह आश्रम 1964 में एक हनुमान मंदिर के साथ बनाया गया था। यह दो साल पहले दो स्थानीय साधुओं, प्रेमी बाबा और सोमबारी महाराज के लिए यज्ञ करने के लिए बनाए गए एक मामूली मंच के साथ शुरू हुआ था। वर्षों से नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर नैनीताल से 17 किमी दूर स्थित मंदिर, स्थानीय लोगों के साथ-साथ दुनिया भर के आध्यात्मिक साधकों और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ बन गया है। प्रत्येक वर्ष १५ जून को, कैंची धाम भंडारा मंदिर के उद्घाटन के उपलक्ष्य में होता है, एक उत्सव जिसमें आम तौर पर एक लाख से अधिक भक्त आते हैं।